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कौन है?-

निर्मोही ने ठकराल को फोन पर बता दिया कि 'हम घर जा रहे है, कोई काम हो तो जरुर बताइगा।'  "ठीक है।" इंस्पेक्टर ठकराल ने कोई विरोध नहीं जताया---बल्कि ये कहा, आप से केस को लेकर काफी उम्मीदें हैं, कोई जानकारी मिले तो संपर्क करना।" आरव निर्मोही को लेकर घर पहुंचा तब अंधेरा हो चुका था। निर्मोही की माँ दोनों को देख कर बोल उठी। "बेटी, मुझे बताये बिना ही चली गई थी तुम? मैं कितनी परेशान हो गई थी। आजकल कुछ ज्यादा ही उलझे हुये रहते हो दोनो। क्या बात है सब ठीक तो है ना बेटा?"  "कुछ भी तो ठीक नही है मॉम।" निर्मोही ने आरव के साथ सोफे पर बैठते हुये बात छेडी।  "क्यों क्या हुआ?" वह निर्मोही को ऐसे देखने लगी जैसे उससे ऐसी बात की उम्मीद न हो।  निर्मोही ने ठान लिया जब तक अपनी परेशानी माँ के साथ शेर नही करेगी माँ के मुंह से सच्चाई नही उगलवा सकती।  "मां! काफी टाइम से एक बात को लेकर मैं बहुत परेशान थी। मैंने तुमसे वह बात इसलिए नहीं शेयर की क्योंकि मैं तुमको दुखी नहीं देख सकती हूँ।" "पहेलियां मत बुझाओ बेटा, जो भी है साफ-साफ कहो।" निर्मोही की मां ने अपनी बेकरारी जाहिर की। "मुझे एक ही तरह का बुरा सपना आता है।" इतना बोल कर निर्मोही ने अपनी मां के एक्सप्रेशन देखें। वाकई उसकी बात सुनकर मां के चेहरे पर बल पड़ गए थे। "क्या कहा तुमने फिर से कहो तो?" उसकी मां ने चिंतित लहजे में पूछा था। "मुझे डरावने सपने आते हैं?"  "कैसे सपने?" मां की आवाज में घबराहट का पुट था। "मां, एक ही सपना मुझे बार-बार आता रहा है। जैसे कोई शैतानी रूहों मेरी हत्या करने पर तुली हो। मैंने यह बात आरव से शेयर की थी। पहले तो उसने मेरी बात को मजाक में लिया मगर जब मैंने उसे बताया कि उस सपनों के पीछे कोई ना कोई हकीकत छुपी है, तब जाकर आरव सच्चाई को परखने के लिए तैयार हुआ। मैंने खौफनाक रूह को होटल मिलन के रूम नंबर 401 में मेरी हत्या करते हुए देखा था। रूह से रूबरू होने के लिए मैंने और आरव ने मिलकर एक प्लान बनाया। प्लान के तहत हम होटल मिलन पर पहुंचे तो वहाँ एक भयानक हादसा हमारा इंतजार कर रहा था।" आरव ने देखा कि निर्मोही की मां के चेहरे की क्रांति फीकी पड़ चुकी थी। "हाँ,  होटल मिलन पर एक लड़की का मर्डर हुआ है?" उनके चेहरे का दर्द छुपा न रह सका। "पर मॉम, आपको कैसे पता?" "क्योंकि मैं होटल मिलन से कुछ देर पहले ही लौटी हूँ।"  "मगर आप वहाँ क्यों गई थी मॉम?" निर्मोही ने अपनी जिज्ञासा जाहिर कर दी। "बेटा, मैंने भी तुमसे एक बात छुपाई है। ठीक तुम्हारी तरह मैं भी बार-बार एक सपना रोज देखती हूँ। जब आंख खुलती है तो खुद को अपने बेड पर पाती हूँ। एक ऐसा ख्वाब जिसका राज आज तक में नहीं सुलझा पाई।" "अच्छा?" अब चौकने की बारी निर्मोही और आरव की थी। "आपको भी कोई सपना परेशान कर रहा है? मगर आपने मुझे पहले कभी नहीं बताया? और अब मैं जानना चाहती हूँ कि उस सपने का 'मिलन होटल' में मरने वाली लड़की से क्या ताल्लुक है?" "मुझे लगता है कोई गहरा ताल्लुक है, पर मैं तुम्हें इस वक्त समझा नहीं पाऊंगी! क्योंकि तुम्हारी इस बदनसीब मां के साथ जुड़ा हुआ एक अतीत और भी है।" "कौन सा अतीत मा जिसे मैं नहीं जानती? प्लीज मुझे सब कुछ जानना है, बताओ ना। कहीं ऐसा तो नहीं कि तुम्हारा अतीत ही मेरे डरावने सपनों के लिए जिम्मेदार हो।" "कुछ भी कहा नहीं जा सकता मेरी बच्ची! वह मेरी जिंदगी का सबसे मनहूस दौर था।" निर्मोही की मां की आँखें अतीत के पर्दे में छुपे मंजर को देखने लगी। *****  ******  ******** "बबुआ, अपनी बहू को दागतर के पास ले जा, बूढी महिला जो की एक ठकुराईन थी अपनी बगल में बैठे बेटे से मुखातिब हुई। कम से कम समझ में तो आवे कि इसबार छोरा है या छोरी?" "अरे मा! तुम भी कहाँ ऐसी बातो में पड गई, जो भी होगा उपर वाले की देन समझकर अपना लेंगे। छोरा-छोरी में भेद नही करते।" "तुम नही समझोगें, छोरा होने से बिरादरी में अपनी नाक ऊंची रेवे है।" "ऐसा कुछ नही है, तुम बाबुजी के सामने ऐसी बाते भुलकर भी मत करना वरना वे पीछे ही पड जायेंगे।" "ठीक है बबुआ अभी तुम काम पे जाओ। बहू को मैं संभाल लुंगी।"  माँ की इजाजत मिलते ही राघव काम पर चला गया। ठीक तभी एक भिक्षुक आया।  "वह अपने भिक्षा पात्र को बजाने लगा।यह देखकर ठकुराईन ने बहू को आवाज दी।"  "बहू बाहर भिक्षुक आया है!"  "जी माँ आती हूँ!" बहूँ की आवाज भीतरी कमरे से आई। कुछ देर में वह खाना लेकर आई और भिक्षुक के पात्र में डाल दिया। वह भिक्षुक उसके उभरे हुये पेट के आकार को लगातार देखे जा रहा था। यह देखकर बहू झेंप गई। और दौड़कर भीतर चली गई। तब उस भिक्षुक ने जाते जाते कहा। "अनर्थ होने वाला है, बडा भारी अनर्थ होने वाला है। आप जैसे देवता ईन्सानो के साथ विधाता ने कैसा मजाक किया है।"  ठकुराईन घबराकर खडी हो गई। "क्या अनर्थ होगा बाबा? आप ऐसा क्यों बोल रहे हो?" "वही उस बच्चे की नियति है जो तुम्हारे घर में जन्म लेने वाला है। उसकी कमर पर अगर नाग की आकृति बनी हो तो समझ लेना यह बच्चा तुम्हारे परिवार का विनाश करेगा। अलख निरंजन! " कहता हुआ वह जोगी चला गया। लेकिन पीछे उस ठकुराईन के दिमाग में हलचल मचा गया था।   जब बहू बाहर आई तो वह उससे कहने लगी। तुम्हारी आने वाली संतान अपने परिवार पर खतरा बनकर आयेगी, ऐसा बोलकर गया वह भिक्षुक।" "पर माँ, ऐसे ऐरे-गेरे भिखारी की बात सुनकर हम अपने बच्चे का त्याग कैसे कर सकते हैं?" "सिर्फ इतना ही नही कहा बहू, उसने एक निशानी बताई है कि अगर बच्चे की कमर पर नाग का कुदरती चिन्ह होगा तो वह हमारे परिवार का विनाश करेगी।" बहू के माथे पर बल पड गए। वह ऐसी बेतुकी बातो में बिलकुल नही मानती थी।  उस दिन से बहू पर कडी नजर रखी जाने लगी। उसका बढता पेट जैसे कोई परमाणु बम हो ऐसी निगाह से ठकुराईन उसे देखती रहती। बेटा भी माँ की बातो में आ गया। कहने लगा, 'अगर किसी महात्मा ने बताया है तो हमे रिस्क क्यों लेना?' बहू अपनी आनेवाली संतान की जिंदगी को लेकर काफी परेशान रहने लगी थी। वह किसी भी हाल में अपनी संतान को बचाना चाहती थी। सोच रही थी कि ऐसा क्या करे जिससे बच्चे की जिंदगी बचाई जा सके। तब उसके दिमाग ने एक कडा फैसला लिया।

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1 Comments

Gunjan Kamal

27-Sep-2023 08:55 AM

शानदार

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